- अगर आपको खुद पर विश्वास नहीं है तो आपका जीवन बेकार है , स्वयं पर हर हालत में विश्वास ही जीवन को सार्थक बनाने की कुंजी है।
- ना तो नियमो का पालन धर्म है और ना नियमो से आजादी ही धर्म है , बल्कि दुनिया के विकास और कल्याण के लिए नियमो को बनाना और समय आने पर तोड़ देना ही धर्म है।
- वह करना जो मन में हो और पुरी लगन से उसे करना और उसको कर पाने का साहस जुटा पाना ही आजादी है , दुनिया से प्रभावित होकर या किसी द्वारा थोपे गये कामो को मजबुरी में करना ही गुलामी है।
- जो बदला नहीं जा सकता उसे स्वीकार करना , जो बदला जा सकता है उसे बदल देना , और जिसके अनुसार ढलना जरूरी है वैसे ढल जाना ही साहस है।
- धर्म , जाति , लिंग , प्रजाति , अविश्वास , गुलामी इत्यादि बाँधने वाली मानसिकताओ को तोड़कर जो अपने आप को सभी के कल्याण के लिए समर्पित करदे वही ईश्वर है, वह सबसे ऊँचा है, सब लोग उसी में है क्योकि उसमें कोई संकीर्णता नहीं है , कोई बाधा या दायरा नहीं है और कोई भेद नहीं है इसलिए वह महान है और असीमित है।
- अपने आप को ईश्वरीय गुणो से भरने की प्रक्रिया ही विकास है।
- सत्य एक ही होता है बस अलग अलग रूपो में दिखता है , शाश्वत होता है और सब पर समान रूप से लागु होता है , अगर किसी के बारे में यह लागु नहीं होता तो वह सत्य नहीं वह बस सीमित परिस्तिथियों का एक समीकरण है जो सीमित काल तक सही है ।
उम्मीद हैं कि आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी,।
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